Friday, August 18, 2023

2) संतमत

 संत की दृष्टि में वैदिक जीवन:-

संत की दृष्टि में वैदिक जीवन:-कर्म से चित्त शुद्ध होता है । उपासना से चित्त समाहित होता है। इस प्रकार मल और विक्षेप का निवारण कर्म और उपासना का फल है। शुद्ध और समाहित चित्त में ज्ञानी तत्त्वदर्शी सद्गुरु का तत्त्वोपदेश प्रतिष्ठित होता है। तत्त्वोपदेश से तत्त्वबोध होता है । तत्त्ववोध से अनिर्वचनीय अज्ञानसहित अज्ञानकृत आवरणका विध्वंस होता है। अज्ञानावरणके विध्वंसके लिए सृष्टिसंरचनाके सनातन प्रकार का ज्ञान आवश्यक है।

 - पुरी शंकराचार्य




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